बेवक़्त एक आहट जगा जाती है हमे नींद से
वो सिरहाने आके बाल सहलाते हैं प्यार से
जैसे मोह जुड़ा हो हमसे कोई
और हम आँखें मूंदते हैं उनकी इछाओं से
डर लगता है वो दे न पाएंगे
डर लगता है वो कह न पाएंगे
जो वो चाहते हैं सुना बड़े लगाव से
वो कुछ देर बाद उठ चले जाते हैं
नींद हमारी अपने संग लेकर
हम सोचते हैं क्यों है केहना इतना मुश्किल
की हम भी चाहते हैं उन्हें उसी चाह से
वो सिरहाने आके बाल सहलाते हैं प्यार से
जैसे मोह जुड़ा हो हमसे कोई
और हम आँखें मूंदते हैं उनकी इछाओं से
डर लगता है वो दे न पाएंगे
डर लगता है वो कह न पाएंगे
जो वो चाहते हैं सुना बड़े लगाव से
वो कुछ देर बाद उठ चले जाते हैं
नींद हमारी अपने संग लेकर
हम सोचते हैं क्यों है केहना इतना मुश्किल
की हम भी चाहते हैं उन्हें उसी चाह से