महकी ज़मी थी
सांसे हवाओ में घुली थी
एहसास उनका था हर पल में
रौशनी हलकी सी थी अँधेरे में|
ठहर गया था वह वक़्त इज़हारे मोहब्बत में
हमारे इकरार में आखिर हो चले
बेखबर दीवाने से वो ||
उजला सम्हा था सुबह के कोहरे में
कह्कशाएं दिख रही थी
उस नरम रात के धुएं में|||
6 comments:
Good words....but feeling incomplete. Hope more words will follow later to complete it.:)
अपने चाहने वाले को इतना तरसाना ठीक नहीं,
इकरार के इंतज़ार में कितने दीवाने दिलजले हो बैठे हैं...
Nice lines, love, mist, lover, and beauty... everything is in here.
Liked it.
Cheers,
Blasphemous Aesthete
Another beautiful creation in hindi...
@P-Kay
Yeah..but later on..till now let it be like this.
@ Blasphemous Aesthete
जी ज़रूर :)
Thanks for the like :D
@Beyond horizon
So modest of you :)
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